अगर आप गांव से हैं तो यह जरूर पढ़ें । छोटे गांव के बड़े अफसर की कहानी। Post part -2

जिंदगी जीना बड़ी बात नहीं है लेकिन जिंदगी में जीना बहुत बड़ी बात है ।
यह शब्द काफी घुमावदार है लेकिन इन शब्दों का क्या मतलब है वह काफी गहरा है इन शब्दों की गहराई इस तरीके से ब्यां की जा सकती है के जीवन में यदि आप केवल सुख भोग विलास इत्यादि का आनंद उठा रहे हैं तो शायद आप जिंदगी को जी रहे हैं जिंदगी के मजे ले रहे लेकिन अगर अगर आप जिंदगी में कठिनाइयों से घिरे हुए हैं हर दिन आपको जद्दोजहद करनी पड़ती है हर एक दिन आपके लिए कठिनाइयों से भरा है हर एक दिन आपके लिए चैलेंजिंग है हर एक दिन आप नहीं-नहीं चीजें सोचते हैं तो इसका मतलब है आप जिंदगी केवल जीने के लिए जी रहे हैं बाकी आपकी जिंदगी में कोई ऐसा पल नहीं है जिसमें आप अपना जीने का मकसद पहचान पाए हैं जी हां तो हम बात कर रहे हैं महावीर सिंह जी के महावीर सिंह जी का परिवार एक छोटे से गांव से आया था दिहाड़ी मजदूरी के काम से वह आज छोटा-मोटा कांटेक्ट लेकर काम करना शुरू कर चुके हैं कांटेक्ट में बात की जाए तो वह ज्यादातर गरीबों के या मध्यम वर्गीय परिवार के घर बनाते हैं जिसमें प्रॉफिट मार्जिन और क्वालिटी ऑफ द वृक काफी कम होता है अपने बिजनेस का दायरा बढ़ाने के लिए महावीर जी ने कुछ जुगाड़ या फिर कहीं टेक्नोलॉजी में इन्वेस्ट करने का सोचते हैं और यही सेन का बिजनेस आइडिया चल निकलता है महावीर जी ने एक मूल मंत्र अपने जीवन में अपनाया इस मूलमंत्र को हम कह सकते हैं एक चौथाई मंत्र जी हां इसे आप भी इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन यह हर किसी के क्षेत्र उसकी आए उसका खानपान उसका रहन-सहन पर डिपेंड करता है महावीर जी का मूल मंत्र इस प्रकार से है कि वह अपनी पूरी काम आएगा एक चौथाई हिस्सा अपने खाने-पीने की व्यवस्था में गुजारेंगे एक चौथाई हिस्सा अपने परिवार के लिए जरूरी सुविधा मुहैया कराने में खर्च करेंगे एक चौथाई हिस्सा अपने व्यापार में लगाएंगे और और बाकी बचा एक चौथाई हिस्सा वह अपने स्वास्थ्य शादी विवाह तीज त्यौहार इत्यादि के लिए जमा करेंगे।
सुनने में जितना आसान है करने में उतना ही कठिन कई बार आपको अपनी इच्छाएं दबानी पड़ती है कई बार आपको सोचना पड़ता है कि किसी एक चौथाई से को थोड़ा सा बढ़ा दिया जाए और खर्चा थोड़ा सा हाथ ढीला कर दिया जाए परंतु मूल मंत्र को मूल तभी रहेगा जब इसका सख्ती से पालन होगा उसी सख्ती से पालन के कारण आज महावीर जी इस मुकाम पर पहुंचे।
 To be continued..

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